Wednesday, February 19, 2014

दूरबीननुमा आँखों की ज़रूरत है...........

दूरबीननुमा आँखों की ज़रूरत है...........

क्योंकि ,,,मुझे जो चाहिये वो नही मिल रहा ...जिससे मुझे निराशा है ,
ये निराशा तब और बढ़ जाती है जब किसी मेरे मित्र , करीबी ,जानकार को वो चीज़ मिल जाती है.

दिमाग़ कशमकश मे खो जाता है की ऐसा मेरे साथ क्यों हों रहा है ?
अपनी ज़िंदगी मे जब मे झाँककर मे देखता हूँ तो पाता हूँ , की मुझे हर वो चीज़ मिली है जो मैने माँगी , दूसरों से बढ़िया मिली , पर हाँ हर चीज़ शायद थोड़ी देरी से मिली,,,पर उचित समय पर मिली .

मैने अपनी ज़िंदगी को थोड़ा और नज़दीक से दूरबीन लगाकर देखा , तो , बढी शर्मिंदगी महसूस हुई .
मुझे ज़िंदगी ने ऐसे नायाब तोफ़े दीये , की ,उनके बिना शायद मेरी ज़िंदगी की हर खुशी अधूरी होती.

उधारण के तोर पर , मेरे नये पड़ोसी से मेरी बात हो रही थी, शादी के विषय पर , मे बोला की मेरी शादी मे मेरे पिताजी बहुत नाचे.तभी मेरा दोस्त मायूस हो गया , और बोला , यार मेरे पिताजी ईस दुनियाँ मे नही है , तो मे इस खुशी को महसूस नही कर सकता.

मे जनता था की ये खुशी कितनी बडी होती है , और मन ही मन अपनी जिंदगी का शुक्रिया अदा कर रहा था , अपने पिताजी का स्वस्थ रूप मे होना , आज मुझे एक तोहफा लग राहा था.

इस वाक्य ने मुझे सिखाया की जिंदगी ने मुझे इतने नायाब तोहफे दीये है , की उनके बिना शायद ज़िंदगी की किसी खुशी का कोई मायना न होता.

इस तरह से आपको दूरबीननुमा आँखों की ज़रूरत है , अपनी ज़िंदगी मे मिले तोहफो को ढूँढने के लिये.

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